Friday, November 13, 2015

रुद्राक्ष माला



आखिर क्यों होते है माला में 108 दाने ?

रुद्राक्ष माला


हिन्दू पौराणिक शास्त्रों के अनुसार हम मंत्र जप के लिए जिस माला का उपयोग करते है, उसमें दानों की संख्या 108 होती है। शास्त्रों में 108 संख्या  का अत्यधिक महत्व है। इसके पीछे कई धार्मिक, ज्योतषिक और वैज्ञानिक मान्यताएं हैं, कि माला में 108 ही दाने क्यों होते हैं| आइए हम यहां जानते है ऐसी ही कुछ मान्यताओ के बारे में और जानेंगे आखिर माला का प्रयोग क्यों करना चाहिए मन्त्र जाप के लिए।

हिन्दू ग्रंथों के अनुसार रुद्राक्ष से बनी माला मंत्र जप के लिए सर्वश्रेष्ठ होती है। रुद्राक्ष को महादेव का प्रतीक माना गया है। रुद्राक्ष में सूक्ष्म कीटाणुओं का नाश करने की शक्ति भी होती है और रुद्राक्ष वातावरण में मौजूद सकारात्मक ऊर्जा को ग्रहण करके साधक के शरीर में पहुंचा देता है। रुद्राक्ष से अलग यह माला तुलसी, स्फटिक, मोती या नगों से भी बनी होती है। प्राचीन काल से ही बड़े-बड़े तपस्वी, साधु-संत इस उपाय को अपनाते रहे हैं।

शास्त्रों में लिखा है कि-

1.) बिना दमैश्चयकृत्यं सच्चदानं विनोदकम्।असंख्यता तु यजप्तं तत्सर्व निष्फलं भवेत्।।


इस श्लोक का तात्पर्य है कि भगवान की पूजा के लिए कुश का आसन बहुत जरूरी है, इसके बाद दान-पुण्य जरूरी है। जब भी मंत्र जप करें, माला का उपयोग अवश्य करना चाहिए। माला के बिना संख्याहीन किए गए मंत्र जप का भी पूर्ण फल प्राप्त नहीं हो पाता है। जो भी व्यक्ति माला की मदद से मंत्र जप करता है, उसकी मनोकामनएं बहुत जल्द पूर्ण होती हैं। मंत्र जप निर्धारित संख्या 108 के अनुसार किए जाए तो सर्व श्रेष्ठ रहता है।

षट्शतानि दिवारात्रौ सहस्राण्येकं विशांति।एतत् संख्यान्तितं मंत्रं जीवो जपति सर्वदा।।


शास्त्रों के अनुसार एक पूर्ण रूप से स्वस्थ व्यक्ति दिनभर में जितनी बार सांस लेता है, व्यक्ति के सांस से ही माला के दानों की संख्या 108 का संबंध है। सामान्यत: 24 घंटे में एक व्यक्ति करीब 21600 बार सांस लेता है। दिन के 24 घंटों में से 12 घंटे दैनिक कार्यों में व्यतीत हो जाते हैं और शेष 12 घंटों में व्यक्ति सांस लेता है 10800 बार। शास्त्रों के अनुसार व्यक्ति को हर सांस पर यानी पूजन के लिए निर्धारित समय 12 घंटे में 10800 बार ईश्वर का ध्यान करना चाहिए, लेकिन यह संभव नहीं हो पाता है। इसीलिए 10800 बार सांस लेने की संख्या से अंतिम दो शून्य हटाकर जप के लिए 108 संख्या निर्धारित की गई है। इसी संख्या के आधार पर जप की माला में 108 दाने होते हैं।

वैज्ञानिक महत्त्व: सूर्य की एक–एक कला का प्रतीक होता है माला का एक–एक दाना:-

वैज्ञानिकों के अनुसार माला के 108 दाने और सूर्य की कलाओं का गहरा संबंध है। एक वर्ष में सूर्य 216000 कलाएं बदलता है और वर्ष में दो बार अपनी स्थिति भी बदलता है। छह माह उत्तरायण रहता है और छह माह दक्षिणायन। अत: सूर्य छह माह की एक स्थिति में 108000 बार कलाएं बदलता है। इसी संख्या 108000 से अंतिम तीन शून्य हटाकर माला के 108 मोती निर्धारित किए गए हैं। माला का एक-एक दाना सूर्य की एक-एक कला का प्रतीक है। सूर्य ही व्यक्ति को तेजस्वी बनाता है, सूर्य ही एकमात्र साक्षात दिखने वाले देवता हैं, इसी वजह से सूर्य की कलाओं के आधार पर दानों की संख्या 108 निर्धारित की गई है।


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