Monday, December 21, 2015

मोक्षदा एकादशी(गीता जयंती)

मोक्षदा एकादशी(गीता जयंती)

मोक्षदा एकादशी(गीता जयंती)


पद्मपुराणमें भगवान श्रीकृष्ण धर्मराज युधिष्ठिर से कहते हैं-इस दिन तुलसी की मंजरी, धूप-दीप आदि से भगवान दामोदर का पूजन करना चाहिए। मोक्षदाएकादशी बडे-बडे पातकों का नाश करने वाली है। इस दिन उपवास रखकर श्रीहरिके नाम का संकीर्तन, भक्तिगीत, नृत्य करते हुए रात्रि में जागरण करें।

पूर्वकाल में वैखानस नामक राजा ने पर्वत मुनि के द्वारा बताए जाने पर अपने पितरोंकी मुक्ति के उद्देश्य से इस एकादशी का सविधि व्रत किया था। इस व्रत के पुण्य-प्रताप से राजा वैखानस के पितरोंका नरक से उद्धार हो गया। जो इस कल्याणमयीमोक्षदा एकादशी का व्रत करता है, उसके सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। प्राणियों को भवबंधन से मुक्ति देने वाली यह एकादशी चिन्तामणि के समान समस्त कामनाओं को पूर्ण करने वाली है। मोक्षदा एकादशी की पौराणिक कथा पढने-सुनने से वाजपेययज्ञ का पुण्यफलमिलता है।

मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी के दिन ही कुरुक्षेत्र में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को श्रीमद्भगवद्गीताका उपदेश दिया था। अत:यह तिथि गीता जयंती के नाम से विख्यात हो गई। इस दिन से गीता-पाठ का अनुष्ठान प्रारंभ करें तथा प्रतिदिन थोडी देर गीता अवश्य पढें। गीतारूपीसूर्य के प्रकाश से अज्ञानरूपीअंधकार नष्ट हो जाएगा।
श्रीमद्भागवत गीता और श्रीमद्भागवत पुराण के आधार पर उस परम सनातन नियम को व्यक्त किया गया है। मोक्षदा एकादशी को श्री कृष्ण का पूजन कर व्रत रखने का विधान है इस व्रत को करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। ग्रह शांति के लिए इस व्रत को करने से उत्तम फलों की प्राप्ति होती है। घर पर मंडरा रहे संकटों के बादल समाप्त होते हैं और स्थिर लक्ष्मी का वास होता है।

मोक्ष प्रदान करता है ये व्रत

महाभारत के युद्ध के समय जब अर्जुन मोहग्रस्त हो गए थे तब भगवान श्रीकृष्ण ने गीता का उपदेश देकर अर्जुन के मोह का निवारण किया था। उस दिन मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी थी। तभी से इस एकादशी को मोक्षदा एकादशी कहा जाता है। धर्मग्रंथों के अनुसार, इस दिन भगवान दामोदर की विधि-विधान से पूजा करने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है।
मोक्षदा एकादशी पर श्रीकृष्ण द्वारा कहे गए गीता के उपदेश से जिस प्रकार अर्जुन का मोहभंग हुआ था, वैसे ही इस एकादशी के प्रभाव से व्रती को लोभ, मोह, द्वेष और समस्त पापों से छुटकारा मिल जाता है। पद्म पुराण में ऐसा उल्लेख आया है कि इस एकादशी के व्रत के प्रभाव से जाने-अनजाने में किए गए सभी पाप नष्ट हो जाते हैं, पुनर्जन्म से मुक्ति मिलती है और पितरों को सद्गति मिलती है। माना जाता है कि इस व्रत की केवल कथा सुनने से ही हजारों यज्ञ का फल मिलता है

क्या करें

1 सुख प्राप्ति के लिए श्री नाराय़ण के चित्र पर सिंदूर चढ़ाएं।

2 धन प्राप्ति के लिए श्री भगवान मधुसूदन के चित्र पर कमल गट्टे चढ़ाएं।

3 पराक्रम बढ़ाने के लिए श्री हरि के चित्र पर तुलसी पत्र चढ़ाएं।

4 गृह क्लेश से मुक्ति पाने के लिए श्री बाल गोपाल को दही का भोग लगाएं।

5 प्रेम में सफलता के लिए श्री राधा-कृष्ण पर रोली चढ़ाएं।

6 रोग मुक्ति के लिए श्री हरि पर मूंग चढ़ाएं।

7 सुखी दांपत्य के लिए लक्ष्मी-नारायण पर अबीर चढ़ाएं।

8 दुर्घटनाओं से सुरक्षा के लिए भगवान बांके बिहारी पर लाल चंदन चढ़ाएं।

9 सौभाग्य प्राप्ति के लिए भगवान विष्णु के चित्र पर हल्दी चढ़ाएं।

10 व्यवसायिक सफलता के लिए श्री कृष्ण पर नीले फूल चढ़ाएं।

11 लाभ प्रप्ति के लिए श्री नारायण पर लोहबान से धूप करें।

12 हानि से बचने के लिए भगवान विष्णु के चित्र पर पीले फूल चढ़ाएं।

 क्या न करें

1 पान न खाएं।

2 किसी की निन्दा न करें।

3 क्रोध न करें।

4 झूठ न बोलें।

5 दिन के समय न सोएं।

6 तेल में बना हुआ खाना न खाएं।

7 कांसे के बर्तनों का इस्तेमाल न करें।

8 व्रत न रख सकें तो प्याज, लहसुन और चावल का सेवन न करें।

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