Friday, November 13, 2015

आज कल की भक्ति.

आज कल  की भक्ति. 

आज कल  की भक्ति


एक बार भगवान नारायण लक्ष्मी जी को बोले, “लोगो में कितनी भक्ति बढ़ गयी है …. सब “नारायण नारायण” करते है!”..तो लक्ष्मी जी बोली, “आप को पाने के लिए नहीं!:-) मेरे को पाने के लिए भक्ति बढ़ गयी है!”..तो भगवान बोले, “लोग “लक्ष्मी लक्ष्मी” ऐसा जप थोड़े ही ना करते है!”
..तो माता लक्ष्मी बोली की , “विश्वास ना हो तो परीक्षा हो जाए!"
..भगवान नारायण एक गाँव में ब्राम्हण का रूप लेकर गए…एक घर का दरवाजा खटखटाया…घर के यजमान ने दरवाजा खोल कर पूछा , “कहाँ के है?”तो भगवान बोले, “हम तुम्हारे नगर में भगवान का कथा कीर्तन करना चाहते है….यजमान बोला, “ठीक है महाराज, जब तक कथा होगी आप मेरे घर में रहेना .गाँव के कुछ लोग इकठठा हो के सब तैय्यारी कर दी….पहेले दिन कुछ लोग आये…अब भगवान स्वयं कथा करते तो गर्दी बढ़ी! 2रे 3 रे दिन और भी भीड़ हो गयी….भगवान खुश हो गए..की कितनी भक्ति है लोगो में….!लक्ष्मी माता ने सोचा अब जाने जैसा है !..लक्ष्मी माता ने बुढ्ढी माता का रूप लिया….और उस नगर में पहुंची…. एक महिला ताला बंद कर के कथा में जा रही थी की , माता पहुंची! बोली, “बेटी ज़रा पानी पिला दे!”तो वो महिला बोली,”माताजी , साढ़े 3 बजे है…मेरे को प्रवचन में जाना है!”.लक्ष्मी माता बोली..”पिला दे बेटी थोडा पानी…बहोत प्यास लगी है..”तो वो महिला लोटा भर के पानी लायी….माता ने पिया और लोटा लौटाया तो सोने का हो गया था!! .महिला अचंबित हो गयी की लोटा दिया था तो स्टील का और वापस लिया तो सोने का! कैसे चमत्कारिक माता जी है!..अब तो वो महिला हाथा-जोड़ी करने लगे की , “माताजी आप को भूख भी लगी होगी ..खाना भी खा लीजिये..!” ये सोचे की खाना खाएगी तो थाली भी, कटोरी भी सोने की हो जाए!!
माता लक्ष्मी बोली, “तुम जा बेटी, तेरा टाइम हो गया!”..वो महिला प्रवचन में तो आई तो सही …लेकिन आस-पास की महिलाओं को सारी बात बतायी….अब महिलायें वो बात सुनकर चालु सत्संग में से उठ के गयी !!
दुसरे दिन से कथा में लोगो की संख्या कम हो गयी….तो भगवान ने पूछा की , “लोगो की संख्या कैसे कम हो गयी?…. किसी ने कहा एक चमत्कारिक माताजी आई है नगर में… जिस के घर दूध पीती तो ग्लास सोने का हो जाता…. थाली में रोटी सब्जी खाती तो थाली सोने की हो जाती!… उस के कारण लोग प्रवचन में नहीं आते..”
..भगवान नारायण समझ गए की लक्ष्मी जी का आगमन हो चुका है! इतनी बात सुनते ही देखा की जो यजमान सेठ जी थे, वो भी उठ खड़े हो गए….. खिसक गए! पहुंचे माता लक्ष्मी जी के पास! बोले, “ माता मैं तो भगवान की कथा का आयोजन करता और लक्ष्मी जी माता आप ने मेरे घर को छोड़ दिया!”माता लक्ष्मी बोली, “तुम्हारे घर तो मैं सब से पहेले आनेवाली थी!लेकिन तुम्हारे घर में जिस कथाकार को ठहेराया है ना , वो चला जाए तो मैं अभी आऊं !”सेठ जी बोला, “बस इतनी सी बात!… अभी उन को धरम शाला में कमरा दिलवा देता हूँ!”
..जैसे ही महाराज कथा कर के घर आये तो सेठ जी बोला, “महाराज बिस्तरा बांधो!आप की व्यवस्था धरम शाला में कर दी है!!”महाराज बोले, “ अभी 2/3 दिन बचे है कथा के….. यही रहेने दो”सेठ बोला, “नहीं नहीं, जल्दी जाओ!मैं कुछ नहीं सुनने वाला!”.इतने में लक्ष्मी जी आई , कहा की , “सेठ जी , आप थोड़ा बाहर जाओ… मैं इन से निबट लूँ!”
माता लक्ष्मी जी बोली, “प्रभु , अब तो मान गए?”

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