लक्ष्मी-नारायण को प्रिय है तुलसी
लक्ष्मी-नारायण को प्रिय है तुलसी |
देवउठनी ग्यारस (एकादशी) का दिन मूलतः तुलसी के विवाह का पर्व है। पुराणों के अनुसार कार्तिक शुक्ल एकादशी के दिन ही भगवान श्री हरि पाताल लोक के राजा बलि के राज्य से चातुर्मास का विश्राम पूरा कर बैकुंठ लौटे थे।
उनके आगमन को देवउठनी एकादशी के रूप में भी मनाया जाता है। भारतीय समाज में तुलसी के पौधे को देवतुल्य मान ऊंचा स्थान दिया गया है। यह औषधि भी है तो मोक्ष प्रदायिनी भी है।
हर घर परिवार के आंगन में तुलसी को स्थान मिला हुआ है जहां नित उसे पूजा जाता है। कहा गया है कि जहां तुलसी होती है वहां साक्षात् लक्ष्मी का निवास भी होता है। स्वयं भगवान नारायण श्री हरि तुलसी को अपने मस्तक पर धारण करते हैं।
यह मोक्ष कारक है तो भगवान की भक्ति भी प्रदान करती है। क्योंकि ईश्वर की उपासना, पूजा व भोग में तुलसी के पत्तों का होना अनिवार्य माना गया है।
तुलसी को भारतीय जनमानस में बड़ा पवित्र स्थान दिया गया है। यह लक्ष्मी व नारायण दोनों को समान रूप से प्रिय है। इसे हरिप्रिया भी कहा गया है। बिना तुलसी के यज्ञ, हवन, पूजन, कर्मकांड, साधना व उपासना पूरे नहीं होते। यहां तक कि श्राद्ध, तर्पण, दान, संकल्प के साथ ही चरणामृत, प्रसाद व भगवान के भोग में तुलसी का होना अनिवार्य माना गया है। .
तुलसी पौधा बता देगा, आप पर कोई मुसीबत आने वाली है
क्या आपने कभी इस बात पर ध्यान दिया कि आपके घर, परिवार या आप पर कोई
मुसीबत आने वाली होती है तो उसका असर सबसे पहले आपके घर में स्थित तुलसी के पौधे पर
होता है। आप उस पौधे का कितना भी ध्यान रखें धीरे-धीरे वो पौधा सूखने लगता
है। तुलसी का पौधा ऐसा है जो आपको पहले ही बता देगा कि आप पर या आपके घर
परिवार को किसी मुसीबत का सामना करना पड़ सकता है। पुराणों और शास्त्रों के अनुसार माना जाए
तो ऐसा इसलिए होता है कि जिस घर पर मुसीबत आने वाली होती है उस घर से सबसे पहले
लक्ष्मी यानी तुलसी चली जाती है। क्योंकि दरिद्रता, अशांति या क्लेश जहां होता है वहां लक्ष्मी जी का निवास नही होता। अगर ज्योतिष की माने तो ऐसा बुध के कारण होता है। बुध का प्रभाव
हरे रंग पर होता है और बुध को पेड़ पौधों का कारक ग्रह माना जाता है।..
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